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Saturday 26 July 2014

त्रिलोचन


न्म : 20 अगस्त 1917 को उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर ज़िले के कठघरा चिरानी पट्टी गाँव में।
त्रिलोचन जी हिंदी की प्रगतिशील काव्यधारा के एक प्रमुख और अपरिहार्य कवि हैं। डॉ. रामविलास शर्मा के शब्दों में वे "एक खास अर्थ में आधुनिक है और सबसे आश्चर्यजनक तो यह है कि आधुनिकता के सारे प्रचलित साँचों को (अर्थात नयी कविता के साँचों को) अस्वीकार करते हुए भी आधुनिक हैं। दरअसल वे आज की हिंदी कविता में उस धारा का प्रतिनिधित्व करते हैं जो आधुनिकता के सारे शोरशराबे के बीच हिंदी भाषा और हिंदी जाति की संघर्षशील चेतना की जड़ों को सींचती हुई चुपचाप बहती रही है। त्रिलोचन जी की कविताएँ समकालीन बोध की रूढ़िग्रस्त परिधि को तोड़ने वाली कविताएँ हैं।"
त्रिलोचन जी तुलसी, शेक्सपियर, गालिब और निराला की परंपरा के समर्थ संवाहक कवि हैं। 'सॉनेट' उनका अपना प्रिय छंद है, लेकिन गज़ल, गीत, बरवै और मुक्त छंद को भी उन्होंने अपनी कविता का पाथेय बनाया। संप्रति वे मुक्तिबोध सृजनपीठ सागर विश्वविद्यालय के अध्यक्ष हैं। साहित्य अकादेमी समेत अनेक शीर्ष सम्मान पुरस्कार उन्हें मिल चुके हैं।

प्रमुख कृतियाँ :
कविता संग्रह : धरती, दिगंत, गुलाब और बुलबुल, ताप के ताये हुए दिन, अरधान, उस जनपद का कवि हूँ, फूल नाम है एक, अनकहनी भी कहनी है, तुम्हें सौंपता हूँ, सबका अपना आकाश, अमोला।
डायरी : दैनंदिनी,
कहानी संग्रह : देश-काल।
9 दिसंबर 2007 को ग़ाजियाबाद में उनका निधन हो गया।

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