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Tuesday 26 August 2014
Saturday 2 August 2014
बलराम अग्रवाल
बलराम अग्रवाल
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Sunday 27 July 2014
कामता प्रसाद गुरु-हिंदी व्याकरण
कामता प्रसाद गुरु
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एकांत श्रीवास्तव
एकांत श्रीवास्तव
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स्वयं प्रकाश
स्वयं प्रकाश
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मधु कांकरिया
मधु कांकरिया
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Saturday 26 July 2014
मुहावरे और उनका प्रयोग
(१)
मुहावरा :- विशेष अर्थ को प्रकट करने वाले वाक्यांश को मुहावरा कहते है। मुहावरा पूर्ण वाक्य नहीं होता, इसीलिए इसका स्वतंत्र रूप से प्रयोग नहीं किया जा सकता । मुहावरा का प्रयोग करना और ठीक -ठीक अर्थ समझना बड़ा की कठिन है ,यह अभ्यास से ही सीखा जा सकता है । इसीलिए इसका नाम मुहावरा पड़ गया ।
यहाँ पर कुछ प्रसिद्ध मुहावरे और उनके अर्थ वाक्य में प्रयोग सहित दिए जा रहे है।
१.अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना - (स्वयं अपनी प्रशंसा करना ) - अच्छे आदमियों को अपने मुहँ मियाँ मिट्ठू बनना शोभा नहीं देता ।
२.अक्ल का चरने जाना - (समझ का अभाव होना) - इतना भी समझ नहीं सके ,क्या अक्ल चरने गए है ?
३.अपने पैरों पर खड़ा होना - (स्वालंबी होना) - युवकों को अपने पैरों पर खड़े होने पर ही विवाह करना चाहिए ।
४.अक्ल का दुश्मन - (मूर्ख) - राम तुम मेरी बात क्यों नहीं मानते ,लगता है आजकल तुम अक्ल के दुश्मन हो गए हो ।
५.अपना उल्लू सीधा करना - (मतलब निकालना) - आजकल के नेता अपना अपना उल्लू सीधा करने के लिए ही लोगों को भड़काते है ।
६.आँखे खुलना - (सचेत होना) - ठोकर खाने के बाद ही बहुत से लोगों की आँखे खुलती है ।
७.आँख का तारा - (बहुत प्यारा) - आज्ञाकारी बच्चा माँ -बाप की आँखों का तारा होता है ।
८.आँखे दिखाना - (बहुत क्रोध करना) - राम से मैंने सच बातें कह दी , तो वह मुझे आँख दिखाने लगा ।
९.आसमान से बातें करना - (बहुत ऊँचा होना) - आजकल ऐसी ऐसी इमारते बनने लगी है ,जो आसमान से बातें करती है ।
१० .ईंट से ईंट बजाना - (पूरी तरह से नष्ट करना) - राम चाहता था कि वह अपने शत्रु के घर की ईंट से ईंट बजा दे।
११.ईंट का जबाब पत्थर से देना - (जबरदस्त बदला लेना) - भारत अपने दुश्मनों को ईंट का जबाब पत्थर से देगा ।
१२.ईद का चाँद होना - (बहुत दिनों बाद दिखाई देना) - राम ,तुम तो कभी दिखाई ही नहीं देते ,ऐसा लगता है कि तुम ईद के चाँद हो गए हो ।
१३.उड़ती चिड़िया पहचानना - (रहस्य की बात दूर से जान लेना) - वह इतना अनुभवी है कि उसे उड़ती चिड़िया पहचानने में देर नहीं लगती ।
१४.उन्नीस बीस का अंतर होना - (बहुत कम अंतर होना) - राम और श्याम की पहचान कर पाना बहुत कठिन है ,क्योंकि दोनों में उन्नीस बीस का ही अंतर है ।
१५.उलटी गंगा बहाना - (अनहोनी हो जाना) - राम किसी से प्रेम से बात कर ले ,तो उलटी गंगा बह जाए ।
हिन्दी संख्याएँ
हिन्दी संख्याएँ ( Hindi Numbers)
हिन्दी संख्याएँ एक से लेकर सौ तक दी जा रही है :-
संख्याएँ...... | हिन्दी शब्द...... | रोमन लिपि |
० | शून्य | shoonya |
१ | एक | Ek |
२ | दो | do |
३ | तीन | teen |
४ | चार | chaara |
५ | पाँच | paaNnch |
६ | छह | chhah |
७ | सात | saat |
८ | आठ | AATh |
९ | नौ | nao |
१० | दस | das |
११ | ग्यारह | gyaarah |
१२ | बारह | baarah |
१३ | तेरह | terah |
१४ | चौदह | chaodah |
१५ | पन्द्रह | pandrah |
१६ | सोलह | solah |
१७ | सत्रह | satrah |
१८ | अठारह | AThaarah |
१९ | उन्नीस | Unnees |
२० | बीस | bees |
२१ | इक्कीस | Ikkees |
२२ | बाईस | baaEEs |
२३ | तेईस | teEEs |
२४ | चौबीस | chaobees |
२५ | पच्चीस | pachchees |
२६ | छब्बीस | chhabbees |
२७ | सत्ताईस | sattaaEEs |
२८ | अट्ठाईस | ATThaaEEs |
२९ | उनतीस | Unatees |
३० | तीस | tees |
३१ | इकतीस | Ikatees |
३२ | बत्तीस | battees |
३३ | तैंतीस | taiNtees (taiNntees) |
३४ | चौंतीस | chaoNtees (chaoNntees) |
३५ | पैंतीस | paiNtees (paiNntees) |
३६ | छत्तीस | chhattees |
३७ | सैंतीस | saiNtees (saiNntees) |
३८ | अड़तीस | ADdatees |
३९ | उनतालीस | Unataalees |
४० | चालीस | chaalees |
४१ | इकतालीस | Ikataalees |
४२ | बयालीस | bayaalees |
४३ | तैंतालीस | taiNtaalees (taiNntaalees) |
४४ | चौवालीस | chaovaalees |
४५ | पैंतालीस | paiNtaalees (paiNntaalees) |
४६ | छियालीस | chhiyaalees |
४७ | सैंतालीस | saiNtaalees (saiNntaalees) |
४८ | अड़तालीस | ADdataalees |
४९ | उनचास | Unachaas |
५० | पचास | pachaas |
५१ | इक्यावन | Ikyaavan |
५२ | बावन | baavan |
५३ | तिरेपन | tirepan |
५४ | चौवन | chaovan |
५५ | पचपन | pachapan |
५६ | छप्पन | chhappan |
५७ | सत्तावन | sattaavan |
५८ | अट्ठावन | ATThaavan |
५९ | उनसठ | UnasaTh |
६० | साठ | saaTh |
६१ | इकसठ | IkasaTh |
६२ | बासठ | baasaTh |
६३ | तिरेसठ | tiresaTh |
६४ | चौंसठ | chaoNsaTh (chaoNnsaTh) |
६५ | पैंसठ | paiNsaTh (paiNnsaTh) |
६६ | छियासठ | chhiyaasaTh |
६७ | सड़सठ | saDdasaTh |
६८ | अड़सठ | ADdasaTh |
६९ | उनहत्तर | Unahattara |
७० | सत्तर | sattara |
७१ | इकहत्तर | Ikahattara |
७२ | बहत्तर | bahattara |
७३ | तिहत्तर | tihattara |
७४ | चौहत्तर | chaohattara |
७५ | पचहत्तर | pachahattara |
७६ | छिहत्तर | chhihattara |
७७ | सतहत्तर | satahattara |
७८ | अठहत्तर | AThahattara |
७९ | उनासी | Unaasee |
८० | अस्सी | Assee |
८१ | इक्यासी | Ikyaasee |
८२ | बयासी | bayaasee |
८३ | तिरासी | tiraasee |
८४ | चौरासी | chaoraasee |
८५ | पचासी | pachaasee |
८६ | छियासी | chhiyaasee |
८७ | सत्तासी | sattaasee |
८८ | अट्ठासी | ATThaasee |
८९ | नवासी | navaasee |
९० | नब्बे | nabbe |
९१ | इक्यानबे | Ikyaanabe |
९२ | बानबे | baanabe |
९३ | तिरानबे | tiraanabe |
९४ | चौरानबे | chaoraanabe |
९५ | पंचानबे | paNchaanabe |
९६ | छियानबे | chhiyaanabe |
९७ | सत्तानबे | sattaanabe |
९८ | अट्ठानबे | ATThaanabe |
९९ | निन्यानबे | ninyaanabe |
१०० | सौ | sao |
प्रत्यय
वह शब्द जो किसी शब्द के पीछे जुड़ कर अर्थ में कुछ परिवर्तन ला देता है ,प्रत्यय कहलाता है । जैसे - बचत ,दिखावा,खाता, मासिक ,संभावित ,कृपालु आदि । इसके दो भेद होते है -
१.कृत - प्रत्यय :- जो प्रत्यय धातुओं के साथ जुड़कर अर्थ में कुछ परिवर्तन ला देते है , कृत प्रत्यय कहलाते है । जैसे - बन + आवट = बनावट , लूट + एरा = लुटेरा , पूजा + री = पुजारी , हँस + ओड़ = हंसोड़ ।
२.तद्धित प्रत्यय : - वे प्रत्यय जो किसी संज्ञा ,सर्वनाम या विशेषण के साथ जुड़ कर अर्थ में परिवर्तन ला देते है , तद्धित प्रत्यय कहलाते है । जैसे - मामा + एरा = ममेरा , लड़का + पन = लडकपन , छोटा + पन = छुटपन , अपना + पन = अपनत्व , मम + ता = ममता , ऊँचा + आई = ऊँचाई
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द ( one word substitution )
भाषा में कई शब्दों के स्थान पर एक शब्द बोल कर हम भाषा को प्रभावशाली एवं आकर्षक बनाते है। जैसे -
भाषा में कई शब्दों के स्थान पर एक शब्द बोल कर हम भाषा को प्रभावशाली एवं आकर्षक बनाते है। जैसे -
राम बहुत सुन्दर कहानी लिखता है। अनेक शब्दों के स्थान पर हम एक ही शब्द 'कहानीकार' का प्रयोग कर सकते है ।इसी प्रकार ,अनेक शब्दों के स्थान पर एक शब्द का प्रयोग कर सकते है। यहां पर अनेक शब्दों के लिए एक शब्द केकुछ उदाहरण दिए जा रहे है : -
१.जो दिखाई न दे - अदृश्य
२.जिसका जन्म न हो - अजन्मा
३.जिसका कोई शत्रु न हो - अजातशत्रु
४.जो बूढ़ा न हो - अजर
५.जो कभी न मरे - अमर
६.जो पढ़ा -लिखा न हो - अपढ़ ,अनपढ़
७.जिसके कोई संतान न हो - निसंतान
८.जो उदार न हो - अनुदार
९. जिसमे धैर्य न हो - अधीर
१०.जिसमे सहन शक्ति हो - सहिष्णु
११.जिसके समान दूसरा न हो - अनुपम
१२.जिस पर विश्वास न किया जा सके - अविश्वनीय
१३.जिसकी थाह न हो - अथाह
१४.दूर की सोचने वाला - दूरदर्शी
१५.जो दूसरों पर अत्याचार करें - अत्याचारी
१६.जिसके पास कुछ भी न हो - अकिंचन
१७.दुसरे देश से अपने देश में समान आना - आयात
१८.अपने देश से दुसरे देश में समान जाना - निर्यात
१९.जो कभी नष्ट न हो - अनश्वर
२०.जिसे कोई जीत न सके - अजेय
२१.अपनी हत्या स्वयं करना - आत्महत्या
२२.जिसे दंड का भय न हो - उदंड
२३.जिस भूमि पर कुछ न उग सके - ऊसर
२४.जनता में प्रचलित सुनी -सुनाई बात - किंवदंती
२५.जो उच्च कुल में उत्पन्न हुआ हो - कुलीन
२६.जिसकी सब जगह बदनामी -कुख्यात
२७.जो क्षमा के योग्य हो - क्षम्य
२८.शीघ्र नष्ट होने वाला - क्षणभंगुर
२९.कुछ दिनों तक बने रहना वाला - टिकाऊ
३०.पति-पत्नी का जोड़ा - दम्पति
३१.जो कम बोलता हो -मितभाषी
३२.जो अधिक बोलता हो - वाचाल
३३.जिसका पति जीवित हो - सधवा
३४.जिसमे रस हो - सरस
३५.जिसमे रस न हो - नीरस
३६.भलाई चाहने वाला - हितैषी
३७.दूसरों की बातों में दखल देना - हस्तक्षेप
३८.दिल से होने वाला - हार्दिक
३९.जिसमे दया न हो - निर्दय
४०.जो सब जगह व्याप्त हो -सर्वव्यापक
४१.जानने की इच्छा रखने वाला - जिज्ञासु
४२.सप्ताह में एक बार होने वाला - साप्ताहिक
४३.साहित्य से सम्बन्ध रखने वाला - साहित्यिक
४४.मांस खाने वाला - मांसाहारी
४५.जिसके आने की तिथि न हो - अतिथि
४६.जिसके ह्रदय में दया हो - दयावान
४७.जो चित्र बनाता हो - चित्रकार
४८.विद्या की चाह रखने वाला - विद्यार्थी
४९.हमेशा सत्य बोलने वाला - सत्यवादी
५०.जो देखने योग्य हो - दर्शनीय
विस्मयादिबोधक अव्यय
विस्मयादिबोधक अव्यय (interjections)
जिन शब्दों से शोक ,विस्मय ,घृणा ,आश्चर्य आदि भाव व्यक्त हों ,उन्हें विस्मयादि बोधक अव्यय कहा जाता है । जैसे- अरे ! तुम कब आ गए ,बाप रे बाप ! इतनी तेज आंधी ! वाह ! तुमने तो कमाल कर दिया आदि ।
विस्मयादि बोधक अव्यय का प्रयोग सदा वाक्य के आरम्भ में होता है । इनके साथ विस्मयादिबोधक चिन्ह ! अवश्यलगाया जाता है .
मन के विभिन्न भावों के आधार पर विस्मयादिबोधक अव्यय के निम्नलिखित प्रमुख भेद है :-
१.शोकबोधक - हाय ! ,बाप रे बाप ! हे राम ! आदि । जैसे - हे राम ! बहुत बुरा हुआ , हाय ! यह क्या हुआ ।
२. घृणा या तिरस्कार बोधक - छि:!, थू -थू , धिक्कार ! आदि । जैसे - छि :छि : ! ये गन्दगी किसने फैलाई ,धिक्कार ! है तुम्हे ।
३. स्वीकृतिबोधक - अच्छा ! ठीक ! हाँ ! आदि । जैसे - हाँ ! मै कल पहुँच जाऊँगा , ठीक! यह हो जाएगा ।
४.विस्मयबोधक - अरे ! क्या ! ओह ! सच ! आदि । जैसे - अरे ! तुम यहाँ कैसे , हे ! ये कौन है ? ।
५.संबोधनबोधक - हो ! अजी !ओ ! आदि । जैसे - अजी ! थोडा देर और रुक जाईये , ओ ! दूधवाले कल मत आना ।
६.हर्षबोधक - वाह -वाह ,धन्य, अति सुन्दर,अहा! आदि । जैसे - अहा ! मजा आ गया , अति सुन्दर ! बहुत अच्छीकविता है ।
७. भयबोधक - ओह ! हाय ! बाप रे बाप ! आदि । जैसे - बाप रे बाप ! इतना बड़ा साँप , हाय ! मुझे चोट लग गयी ।
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